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सुंदरी सवैया




सुंदरी सवैया

      मापनी 112 112 112 112

               112 112 112 1122


पद से धन से व्यवहार बड़ा, व्यवहार बिना सब व्यर्थ यहाँ है।

व्यवहार सदा करना बढिया, व्यवहार हि पूजित होत यहाँ है।

सबके प्रति उत्तम भाव रखो, अति सुंदर भाव-विचार महा है।

जिसके उर में सबके प्रति नेह,मनुष्य   महान कहाँ जग में है?


जिसके दिल में अनुराग भरा, वह दिव्य महान सुजान बड़ा है।

चलता सबके हित हेतु सदा, प्रिय धर्मधुरंधर जान बड़ा है।

अति मोहक कर्म किया करता, सबके मन का प्रिय मान खड़ा है।

करता जग वन्दन नित्य लिये, कर में ध्वज -प्रेम पताक पड़ा है।


करता न विवाद सदा रस शांति, पिलावत मानव भव्य चला है।

कहता सबसे प्रिय पात्र बनो, यह जीवन पद्धति पूर्ण कला है।

मत भेद रखो मतभेद हटे, हर भेद कुपंथ कुचाल बला है।

जिसमें नहिं दर्प घमण्ड नहीं, उसका हर संकट नित्य टला है।


शुभ भाव भरो अपने मन में, प्रिय चिंतन का शिव तंत्र बनाओ।

जपते चलना हरि मूरत को, सबको प्रिय नेक सुमंत्र सिखाओ।

जगते रहना अपने जग में, अपने उर में सुख-तंत्र रचाओ।

व्यवहार रहे सुखदा सबके, प्रति जीवन सौम्य स्वतंत्र कराओ।




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2 Comments

Renu

25-Jan-2023 03:56 PM

👍👍🌺

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Mahendra Bhatt

25-Jan-2023 08:32 AM

Nice

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